मैं पहाड़ का रहने वाला सीधा सच्चा सा एक बन्दा
दो आँखों से देखने वाला क्यों कहते हो मुझको अँधा
करने वाले खुद तो करते छुपकर काला काला धंधा
उनको अच्छे काम न दीखते तो मैं कहता उनको अँधा
सच्चा जीवन होता मुश्किल मेहनत करनी पड़ती है
सही मार्ग दो यदि खोजे ऊपर की सीधी मिलती है
पुण्य करोगे स्वर्ग मिलेगा पाप करोगे मिलेंगे शूल
धर्म मार्ग होता तो मुश्किल पर इसमें मिलते हैं फूल
गलत काम से जेल ही मिलता सही काम से खिलता दिल
पहले जो दिल रोता रोता अब खुशियों से पड़ता खिल
जितना आप खुश होने का सोचते हो उतना ही दिल रोता है
जो चीज़ अपना बनाने के लिए सोचते हो वह चीज़ पहले खोता है
नशा करना शरीर के लिए सबसे बड़ी गलती है
अमृत का बीज लगाओगे तो अमृत ही फलती है
सभी काम बिगड़ सकता है जल्दी जल्दी में
इंसान की जान जा सकती है छोटी सी भी गलती में
जीवन तो एक शीशे जैसा है पलभर में टूटेगा
रिश्ते को भी जोड़ के रक्खो नहीं तो वह भी छूटेगा
इस जीवन का क्या है भरोसा एक दिन सबको जाना है
किसने लम्बा जीवन जीना क्यों ये सपना सजाना है
बस इतना ही मन में समझो जिसने औरों का दुःख जाना
उसने मानवताको जाना उसने ईश्वर को पहचाना
अमृत देता है नया जोश विष कर देता है बेहोश
इस में धरती का नहीं है दोष
Friday, February 27, 2009
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